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शुरुआत
आज भारत को 1 डॉलर 85 ₹ का पडता है लकिन कभी यह 7 ₹ या 8 ₹ का होता था
जी हां, मै सही कह रहा हु. ये बात है 1973-74 की. (चित्र देखे )
डॉलर को कोई हथियार की तरह इस्तेमाल करके बहुत से देशो (जिनमे भारत भी एक मुख्य देश था) को परेशान करने का एक ऊंचा प्लान बनाया गया था और इसी प्लान के तहत 1974 में एशिया के तेल उत्पादन करने वाले देश के साथ अमेरिका का एक समझौता हुआ जिसे आज Oil for Security एग्रीमेंट कहा जाता है
क्या है Oil for Security एग्रीमेंट :
इस एग्रीमेंट के तहत सउदी अरब और उसके सहयोगियों को अमेरिका की ओर से सुरक्षा की अनोपचारिक गारंटी मिली। और अमेरिका को मिला तेल की नियमित आपूर्ति का आश्वासन मिला। जिसके बाद अमेरिका सऊदी देशो का सबसे बड़ा तेल का खरीदादार बन गया।
इससे अमरीका को कुछ बहुत बड़े फायदे हुए
- अमेरिका को एशिया के देशो में नेतागिरी करने का और उनको प्रभावित करने का license मिल गया
- सऊदी देशो को तेल का पेमेंट डॉलर में होने के कारन सऊदी देशो के पास डॉलर का बड़ा भण्डार हो गया और डॉलर को एक ग्लोबल करेंसी माना जाने लगा
- जिन सऊदी देशो में आयल के अलावा सिर्फ रेत के टीले होते थे, वो खानबदोश कबीले वाले लोग डॉलर के दम पर पूरी दुनिया से खाने पीने से लेकर लग्जरी सामान इम्पोर्ट करके पूरी दुनिया में डालर बाँटने लगे जिससे दुनिया में डालर की डिमांड बढ़ने लगी इससे डालर और मजबूत होने लगा
- सऊदी देशो के पास जब पैसा आए गया तो उन्होंने उस पैसो को अमेरिका में निवेश करना शुरू कर दिया जिससे अमेरिका की इकॉनमी और मजबूत हुई और तेल मिला अलग से
- सऊदी के तेल की आपूर्ति सुनिश्चित होने के बाद अमरीका ने आपने देश में तेल का उत्पादन ही बंद कर दिया अमेरिका का प्लान था की आपने घर के तेल का भण्डार भविष्य में बहुत जरुरत के समय काम आएगा अब अमेरिका हर हफ्ते गुरूवार को तेल के स्टॉक की इन्वेंटरी शेयर करता है जिससे तेल के भाव में बड़ी मूवमेंट होती है
- अमेरिका इसी तरह के और अग्रीमेंट (धीरे धीरे सब बताया जायेगा ) करके आपने पर्यावरण को सुरखित करने में सफल रहा.
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