F-35B, जिसे “आकाश का भूत” कहा जाता है, अमेरिका द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक स्टील्थ मल्टीरोल फाइटर जेट है। इसे विश्वप्रसिद्ध अमेरिकी रक्षा कंपनी Lockheed Martin ने डिजाइन और निर्मित किया है।
हाल ही में, यही विमान भारत के त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट पर आपातकालीन लैंडिंग के कारण चर्चा में आया है। पिछले 14 दिनों से यह विमान वहां खुले आसमान के नीचे खड़ा है, जैसे एक ‘सफेद हाथी’। यह घटना भारतीय रक्षा क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक नई चर्चा का विषय बन गई है।
F-35B क्यों है खास?
यह विमान खास तौर पर शॉर्ट टेकऑफ एंड वर्टिकल लैंडिंग (STOVL) क्षमताओं के लिए जाना जाता है। इसका मतलब है कि यह विमान छोटे रनवे से भी उड़ान भर सकता है और सीधे नीचे उतर सकता है, जैसे एक हेलीकॉप्टर।
F-35B की तकनीक इतनी गोपनीय है कि कुछ ही विशेषज्ञों को इसकी पूरी जानकारी होती है। अमेरिका इसे पश्चिमी दुनिया का सबसे बड़ा हथियार मानता है और यही कारण है कि वह इसे लेकर भारत जैसे सहयोगी देशों पर रणनीतिक दबाव भी बना रहा है।
तकनीकी विशेषताएं
- 🔹 स्पीड: मैक 1.6 (लगभग 1,960 किमी/घंटा)
- 🔹 रेंज: लगभग 1,667 किमी
- 🔹 इंजन: Pratt & Whitney F135 टर्बोफैन (Rolls-Royce LiftFan के साथ)
- 🔹 हथियार: AIM-120, AIM-9X, JDAM, Paveway
- 🔹 सेंसर: AESA रडार, DAS, EOTS, स्मार्ट हेलमेट
- 🔹 स्टील्थ तकनीक: रडार में दिखाई न देने वाली बनावट और कोटिंग
भारत के लिए क्या है इसका महत्व?
भारत फिलहाल Rafale-M और F/A-18 Super Hornet जैसे विकल्पों पर विचार कर रहा है जो INS Vikrant जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए उपयुक्त हैं। लेकिन F-35B की विशेषताएं इसे एक संभावित विकल्प बनाती हैं, बशर्ते अमेरिका भारत को इसकी तकनीक साझा करने को तैयार हो।
F-35B की भारत में उपस्थिति इस बात का संकेत भी हो सकती है कि अमेरिका भविष्य में इस विमान को भारत को ऑफर कर सकता है। लेकिन इसकी अत्यधिक कीमत और जटिल रख-रखाव भारतीय रक्षा बजट और सामरिक नीति के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है।
निष्कर्ष
F-35B केवल एक लड़ाकू विमान नहीं, बल्कि भविष्य की सैन्य रणनीति का हिस्सा है। इसकी भारत में मौजूदगी सिर्फ एक तकनीकी घटना नहीं, बल्कि एक संभावित रणनीतिक मोड़ भी हो सकता है। क्या भारत इस विमान को अपनाएगा या फिर अपने पारंपरिक विकल्पों के साथ आगे बढ़ेगा — यह आने वाला समय बताएगा।
आपकी राय?
क्या भारत को F-35B जैसे स्टील्थ फाइटर जेट को खरीदना चाहिए? क्या यह भारत के लिए सामरिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है? अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर बताएं।
F-35B की 7 अद्वितीय विशेषताएं जो इसे खास बनाती हैं
- 🛫 STOVL तकनीक: F-35B Short Takeoff and Vertical Landing (STOVL) क्षमता से लैस है, जिससे यह छोटे रनवे या युद्धपोतों से उड़ान भर सकता है और वहां उतर भी सकता है।
- 🛰️ स्टील्थ डिज़ाइन: इस विमान की बनावट और बाहरी परतें रडार से बचने में सक्षम हैं। यह दुश्मन की निगरानी प्रणाली के लिए लगभग अदृश्य बन जाता है।
- 👁️ सेंसर फ्यूजन: F-35B के सेंसर पायलट को 360 डिग्री रीयल-टाइम व्यू
- 🧠 हेड्स-अप डिस्प्ले हेलमेट: पायलट का हेलमेट ही उसकी स्क्रीन है। सभी ज़रूरी जानकारी उसे हेलमेट पर ही दिखाई देती है, जिससे नीचे देखने की जरूरत नहीं पड़ती।
- 📡 AESA रडार: इस फाइटर में लगा Active Electronically Scanned Array (AESA) रडार लंबी दूरी तक दुश्मन को पहचानने, ट्रैक करने और लॉक करने की क्षमता रखता है — वो भी बिना अपनी लोकेशन उजागर किए।
- 🛠️ ऑटोमैटिक लॉजिस्टिक्स सिस्टम (ALIS): F-35B में एक विशेष ऑटोमैटेड मेंटेनेंस और डाटा सिस्टम
- 🚀 मल्टीपल वेपन सिस्टम: यह विमान AIM-120, AIM-9X मिसाइलों से लेकर JDAM और Paveway बम तक कई प्रकार के हथियार ले जाने और दागने में सक्षम है।
युद्ध में F-35B का क्या महत्त्व है?
F-35B की खासियत है की इसको बिना रनवे के भी कही से ही उदय जा सकते है, जैसे :-
- युद्धपोतों से
- छोटे एयरस्ट्रिप्स से
- जंगलों या अस्थायी युद्धभूमियों से
- नेवी के युद्धपोत से
स्टील्थ टेक्नोलॉजी के कारन यह बहुत से देशो के राडार से गायब हो सकता है
जिससे यह कभी भी आपने दुश्मन को चौंका सकता है।
भारत में क्या कर रहा है? F-35B
14-June-2025 को इसको भारत में एक इमरजेंसी लैंडिंग के कारण उतरा गया था।
पहला कारण बताया गया ईंधन की कमी की वजह से इसको उतारना पड़ेगा।
कुछ समय बाद भारतीय सेना को खबर दी गई की इस अत्याधुनिक विमान का हाइड्रोलिक सिस्टम फेल हो गया है।
अमेरिका और ब्रिटेनिया सरकार क्यों है परेशान ?
क्योकि यह विमान ब्रिटेन ने लगभग 120 बिलियन डालर में अमेरिका से ख़रीदा था, और इतना महंगा और महत्वपूर्ण होने की वजह से :-
जब से ये भारत की धरती पर गिरा है तब से ब्रिटेन इसकी सुरक्षा के लिए इतना ज्यादा चिंतित है कि उसने शुरू में भारत की एयरपोर्ट टीम को छूने से भी मना किया दिया था।
यहाँ तक की इस विमान का पायलट इस प्लान को छोड़ कर आराम करने तब तक नहीं गया जब तक ब्रिटेन की टेक्निकल टीम इसको ठीक करने नहीं आ गई। पैर उसके आने से भी कुछ नहीं बदला क्योकि वो टीम भी अमेरिका के सबसे एडवांस प्लैन को शुरू नहीं कर पा रही है उड़ा कर वापस ले जाने की तो जाने ही दो।
भारत में ही क्यों रुका ये विमान F-35B?
14 जून 2025 को अमेरिकी F-35B फाइटर जेट ने भारत के त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट पर आपातकालीन लैंडिंग की। प्रारंभिक सूचना के अनुसार, इसका कारण ईंधन की कमी बताया गया था। लेकिन कुछ ही समय बाद भारतीय सेना को यह सूचना दी गई कि इस अत्याधुनिक विमान का हाइड्रोलिक सिस्टम भी फेल हो गया है — जो इस इमरजेंसी का एक और बड़ा कारण बना।
इसी के साथ एक और रोचक और चर्चा का विषय बनी खबर सामने आई — कुछ भारतीय और अंतरराष्ट्रीय रक्षा विशेषज्ञ यह दावा कर रहे हैं कि भारत की सीमा सुरक्षा और रडार प्रणाली ने इस F-35B को भारतीय सीमा में प्रवेश करते ही ट्रैक और लॉक कर लिया था
इन रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के एडवांस रडार सिस्टम से ऐसे विशेष सिग्नल भेजे गए जिनके कारण यह जेट अत्यधिक डेटा-ओवरलोड का शिकार हुआ और इसके नवीनतम इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में क्रैश जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई।
हालांकि इन दावों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन ऐसी खबरों ने दुनियाभर के सामरिक विश्लेषकों का ध्यान भारत की रक्षा क्षमताओं की ओर आकर्षित किया है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यदि यह सच है, तो यह भारत की रडार और साइबर-इलेक्ट्रॉनिक क्षमताओं का एक अभूतपूर्व उदाहरण हो सकता है।
F-35B पर भारत की प्रतिक्रिया ?
1 . भारतीय इंजीनियरो से मिलकर ठीक करना:- भारत ने इस विमान को ठीक करने के लिए अपनी टेक टीम की सेवाएं की पेशकश की थी जिसको ब्रिटेन ने साफ़ मना कर दिया।
अंदर की बात ये है की ब्रिटेन अच्छी तरह समझता है की अगर भारत के प्रतिभाशाली रक्षा इंजीनियरो ने इस विमान के सिस्टम को खोल कर जांचना शुरू कर दिया तो इसका इलेक्ट्रॉनिक फ्रेमवर्क और रडार सिस्टम पूरी तरह से उजागर हो जायेगा , जिसको भारत आपने भविष्य के विमानों में इस्तेमाल करके एडवांस हतियार बना सकता है, पश्चिमी देशो को डर है की भारत इस टेक्नोलॉजी को आपने मित्र देश जैसे रुस के साथ भी साझा कर सकता है जिससे उनको बड़ी हानि हो सकती है।
कुल मिला कर हथियारों के बाजार में वर्चस्व को खतरा न इसीलिए ब्रिटेन ने सुनिश्चित किया की भारत की टीम विमान से दूर रहे और विमान एयरपोर्ट पर ही खुले में रहे.
2 . भारतीय C-17 से ब्रिटेन तक एयर लिफ्ट की पेशकश:-C 17 एक मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है तो भारी टेंक, ट्रक्स , मशीने और पूरी बटालियन को ले जाने में सक्षम है, भारत ने सुझाव दिया की इस किसी भी तरीके से ठीक न हो सकने वाले F35 विमान को भारतीय C-17 से ब्रिटेन पंहुचा देते है जिसमे आने और जाने का खर्चा ब्रिटेन की रॉयल नेवी का रहेगा।
3 . हेंगर में सुरक्षित पार्किंग करवाना:- भारत ने ब्रिटेन को सलाह दी की इस विमान को त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट के हेंगर (विमानों का पार्किंग एरिया ) में सुरक्षित रखवा देते है जिससे की एयरपोर्ट के काम काज में कोई रूकावट ना हो और जब उनकी टीम प्लान को ठीक कर ले तो वो इसको वापस ले जाये।
शायद सुरक्षा की दृष्टि से रॉयल नेवी को ये विचार भी पसंद नहीं आया तभी 14 दिन के बाद भी विमान खुले आसमान के नीचे कबाड़ की भाति खड़ा है.
ये भी हो सकता है की हेंगर का किराया ब्रिटेन सरकार को ज्यादा लगा जिसकी वजह से उन्होंने अपने महत्वपूर्ण विमान को लावारिश रखना ही सही समझा।
F-35B की वापसी से पहले भारत को करने चाहिए कूटनीतिक सौदे – यह कोई मुफ्त पार्किंग नहीं है!
भारत अब कोई धर्मशाला नहीं है, जहाँ कोई भी देश अपने संवेदनशील विमानों को लाकर पार्क कर दे और बिना जवाबदेही के लौट जाए। भारत की भूमि पर पिछले कई दिनों से खड़ा यह अत्याधुनिक F-35B फाइटर जेट केवल एक तकनीकी मुद्दा नहीं है, बल्कि कूटनीतिक अवसर भी है — जिसे भारत को समझदारी से उपयोग में लाना चाहिए।
इस विमान की सुरक्षा, पार्किंग, संचार-संरचना और अन्य व्यवस्थाओं पर जो खर्च आया है, उसका पूरा भुगतान ब्रिटेन सरकार को करना चाहिए। लेकिन इससे भी बढ़कर, भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विमान को लौटाने से पहले इसकी गहन जांच की जाए — ताकि यह तय किया जा सके कि इससे भारत की सामरिक जानकारी को कोई खतरा नहीं हुआ है।
कूटनीतिक सौदे का मौका?
भारत इस विमान को लौटाने के बदले कुछ महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के लिए ब्रिटेन पर कूटनीतिक दबाव बना सकता है, जैसे:
💰 पाकिस्तान को मिलने वाली WHO और अंतरराष्ट्रीय सहायता
👤 विजय माल्या जैसे आर्थिक भगोड़ों
🏛️ लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग पर हमले
🚫 ब्रिटेन में सक्रिय खालिस्तानी
भारत को इस मामले को केवल एक तकनीकी घटना के रूप में नहीं, बल्कि एक रणनीतिक अवसर के रूप में देखना चाहिए — जहाँ वह अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए कूटनीतिक सौदेबाज़ी कर सकता है।
“अब देखना यह है कि भारत इस मौके को कैसे उपयोग में लाता है — क्या वह महज़ एक ‘आतिथ्य भाव’ दिखाकर विमान लौटा देगा, या अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा?”
✅ निष्कर्ष (Conclusion):
इस घटना ने भारत के विरोधियों को एक स्पष्ट संदेश दे दिया है — चाहे तकनीक कितनी भी उन्नत हो और देश कितना भी ताकतवर क्यों न हो, भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के साथ छेड़छाड़ का परिणाम गंभीर हो सकता है।
अब यह नया भारत है — जो न सिर्फ अपनी सीमाओं की रक्षा करना जानता है, बल्कि दुश्मन की मंशा को भी समय रहते पहचानने की क्षमता रखता है। कोई भी देश भारत की धरती पर कदम रखने से पहले सौ बार सोचे — वरना जानकारी लेने आए थे, पर अपनी ही जानकारी पीछे छोड़कर लौटना पड़ेगा।
क्या भारत को इस मौके का लाभ उठाना चाहिए? अपनी राय कमेंट में बताएं।
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